03 Nov 2025
'इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ खुदा...' पढ़ें गालिब के दिल को छू लेने वाले शेर.
हम बतलाएं
1. पूछते हैं वो कि 'ग़ालिब' कौन है, कोई बतलाओ कि हम बतलाएं क्या.
तलवार भी नहीं
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ खुदा. लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं.
हम नहीं क़ाइल
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल, जब आंख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है.
रंज से खूगर
रंज से खूगर हुआ इंसां तो मिट जाता है रंज, मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं..
फ़ुर्सत कि रात
जी ढूंडता है फिर वही फ़ुर्सत कि रात दिन, बैठे रहें तसव्वुर-ए-जानां किए हुए.
खुदा की कुदरत
वो आए घर में हमारे खुदा की कुदरत है. कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं.