20 Nov 2025
जावेद अख्तर के वह शेर जिन्होंने नौजवानों से लेकर बुजुर्गों का दिल जीत लिया.
वक़्त चुरा कर
1. तब हम दोनों वक़्त चुरा कर लाते थे, अब मिलते हैं जब भी फ़ुर्सत होती है.
खुशी से फासला
सब का खुशी से फासला एक कदम है, हर घर में बस एक ही कमरा कम है.
शहर पर छाए
धुआं जो कुछ घरों से उठ रहा है, न पूरे शहर पर छाए तो कहना.
जीने के अंदाज़
इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं, होंटों पे लतीफे हैं आवाज़ में छाले हैं.
ज़िंदाबाद हिन्दोस्तान
इसी जगह इसी दिन तो हुआ था ये एलान, अंधेरे हार गए ज़िंदाबाद हिन्दोस्तान.
दिल की गली
हम तो बचपन में भी अकेले थे, सिर्फ दिल की गली में खेले थे.