30 Nov 2025
निदा फ़ाज़ली के वह शेर जो आपकी जुबान पर ठहर जाएं, एक बार जरूर पढ़ें.
शहर ढूंढिए
1. नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूंढिए, इस शहर में तो सब से मुलाकात हो गई.
कुछ भी
कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई, आओ कहीं शराब पिएं रात हो गई.
इंसान न बनने
कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है, सब ने इंसान न बनने की कसम खाई है.
सारे जहां
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहां में, जो दूर है वो दिल से उतर क्यूं नहीं जाता.
भूलना आसान
तुम से छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था, तुम को ही याद किया तुम को भुलाने के लिए.
चुप-चाप क्यूं
हर एक बात को चुप-चाप क्यूं सुना जाए, कभी तो हौसला कर के नहीं कहा जाए.