02 Dec 2025

'तुझ को पाने में मसअला ये है...' पढ़ें तहज़ीब हाफ़ी के दिल जीत लेने वाले शेर.

मिरे ज़ेहन

तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया, इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया.

तुझ को खोने

तुझ को पाने में मसअला ये है, तुझ को खोने के वसवसे रहेंगे.

समझने में रात

ये एक बात समझने में रात हो गई है, मैं उस से जीत गया हूं कि मात हो गई है.

मस्ती में बहता

अपनी मस्ती में बहता दरिया हूं, मैं किनारा भी हूं भंवर भी हूं.

पच्चीस साल 

वो जिस की छांव में पच्चीस साल गुजरे हैं, वो पेड़ मुझ से कोई बात क्यूं नहीं करता.

बरसात क्यूं

बता ऐ अब्र मुसावात क्यूं नहीं करता, हमारे गाँव में बरसात क्यूं नहीं करता.