04 Dec 2025
'आ गई याद शाम ढलते ही...' पढ़ें मुनीर नियाजी के शानदार शेर.
ख़्वाब होते
ख़्वाब होते हैं देखने के लिए, उन में जा कर मगर रहा न करो.
तब्दील होना
शहर का तब्दील होना शाद रहना और उदास, रौनक़ें जितनी यहाँ हैं औरतों के दम से हैं.
तेग़-ए-अदा
अपनी ही तेग़-ए-अदा से आप घायल हो गया, चांद ने पानी में देखा और पागल हो गया.
मैं समझता रहा
वो जिस को मैं समझता रहा कामयाब दिन, वो दिन था मेरी उम्र का सब से खराब दिन.
फ़िक्र है मिरी
कोई तो है 'मुनीर' जिसे फ़िक्र है मिरी, ये जान कर अजीब सी हैरत हुई मुझे.
ढलते ही
आ गई याद शाम ढलते ही, बुझ गया दिल चराग जलते ही.