05 Dec 2025

'मुद्दत हुई इक शख़्स ने दिल तोड़ दिया था...' पढ़ें साकी फारुकी के दिल जीत लेने वाले शेर.

मिरा इंतिज़ार

मुझे ख़बर थी मिरा इंतिज़ार घर में रहा, ये हादसा था कि मैं उम्र भर सफर में रहा.

इक शख़्स

 मुद्दत हुई इक शख़्स ने दिल तोड़ दिया था, इस वास्ते अपनों से मोहब्बत नहीं करते.

 इक याद 

इक याद की मौजूदगी सह भी नहीं सकते, ये बात किसी और से कह भी नहीं सकते.

रात भर सिसकता

ये क्या तिलिस्म है क्यूं रात भर सिसकता हूं, वो कौन है जो दियों में जला रहा है मुझे.

तमन्ना भी नहीं 

अब घर भी नहीं घर की तमन्ना भी नहीं है, मुद्दत हुई सोचा था कि घर जाएँगे इक दिन.

शिकस्त की दोहरी 

मुझ को मिरी शिकस्त की दोहरी सज़ा मिली, तुझ से बिछड़ के ज़िंदगी दुनिया से जा मिली.