स्पीकर सत्यव्रत ने व्यक्तिगत और संयुक्त रूप से 44 विधायकों से मुलाकात की है. नई सरकार के गठन का विरोध करने वाला कोई नहीं है.
Imphal: मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के बीच राज्य में नई सरकार बनाने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है.मणिपुर में नई सरकार बनाने के लिए 44 विधायक तैयार हैं. यह दावा भाजपा विधायक थोकचोम राधेश्याम सिंह ने बुधवार को राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात के बाद किया. सिंह ने नौ अन्य विधायकों के साथ राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि लोगों की इच्छा के अनुसार 44 विधायक सरकार बनाने के लिए तैयार हैं. भाजपा विधायक ने कहा कि यह बात हमने राज्यपाल को बता दी है. हमने इस बात पर भी चर्चा की है कि इस मुद्दे का क्या समाधान हो सकता है.
नई सरकार के गठन का विरोध नहीं
उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने हमारी बातों को नोट किया. राज्यपाल ने कहा कि लोगों के सर्वोत्तम हित में कार्रवाई शुरू करेंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या वे सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे. उन्होंने कहा कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व निर्णय लेगा. हालांकि, यह सूचित करना कि हम तैयार हैं, सरकार बनाने का दावा पेश करने के समान है. सिंह ने कहा कि स्पीकर सत्यव्रत ने व्यक्तिगत और संयुक्त रूप से 44 विधायकों से मुलाकात की है. नई सरकार के गठन का विरोध करने वाला कोई नहीं है. कहा कि लोगों को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
भाजपा के पास कुल 44 विधायक
उन्होंने कहा कि पिछले कार्यकाल में दो साल COVID के कारण खो गए थे और इस कार्यकाल में संघर्ष के कारण दो और साल खो गए हैं. मई 2023 में शुरू हुए मैतेई और कुकी के बीच जातीय संघर्ष से निपटने के बारे में उनकी सरकार की आलोचनाओं के बीच भाजपा नेता एन बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद मणिपुर फरवरी से राष्ट्रपति शासन के अधीन है. 60 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में 59 विधायक हैं, एक विधायक की मृत्यु के कारण एक सीट खाली है. भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में 32 मैतेई विधायक, तीन मणिपुरी मुस्लिम विधायक और नौ नागा विधायक हैं, इस प्रकार कुल 44 विधायक हैं.
कांग्रेस के पास महज पांच विधायक
कांग्रेस के पास पांच विधायक हैं. सभी मैतेई हैं. जबकि शेष 10 विधायक कुकी हैं. उनमें से सात ने भाजपा के टिकट पर पिछला चुनाव जीता था, दो कुकी पीपुल्स अलायंस के हैं और एक निर्दलीय है. सूबे में हिंसा के बाद मैतेई समूह 20 मई को ग्वालटबी में हुई घटना को लेकर राज्यपाल से माफी मांगने, मुख्य सचिव, डीजीपी और सुरक्षा सलाहकार के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. मई 2023 में जातीय संघर्ष की शुरुआत के बाद से जिसमें 250 से अधिक लोग मारे गए हैं. कुकी संगठन इस बात पर जोर दे रहे हैं कि संकट को हल करने का एकमात्र समाधान उन पहाड़ी जिलों के लिए एक अलग प्रशासन बनाना है, जहां वे रहते हैं.
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