12 Dec 2025
'इन दूरियों ने और बढ़ा दी हैं क़ुर्बतें...' ऐतबार साजिद के वह शेर जिसने समाज को झकझोर दिया.
तिरे क़ुर्ब
अजब नशा है तिरे क़ुर्ब में कि जी चाहे, ये ज़िंदगी तिरी आग़ोश में गुजर जाए.
तअल्लुक़ तोड़
ये बरसों का तअल्लुक़ तोड़ देना चाहते हैं हम, अब अपने आप को भी छोड़ देना चाहते हैं हम.
शेर चुन
डाइरी में सारे अच्छे शेर चुन कर लिख लिए, एक लड़की ने मिरा दीवान ख़ाली कर दिया.
ख़्वाहिश है
किसे पाने की ख़्वाहिश है कि 'साजिद', मैं रफ़्ता रफ़्ता खुद को खो रहा हूं.
क़ुर्बतें
इन दूरियों ने और बढ़ा दी हैं क़ुर्बतें, सब फ़ासले वबा की तवालत से मिट गए.
गहराइयां
तअल्लुक़ात में गहराइयां तो अच्छी हैं, किसी से इतनी मगर क़ुर्बतें भी ठीक नहीं.