12 Dec 2025
'सौ मिलीं ज़िंदगी से सौग़ातें...' पढ़ें अली सरदार जाफ़री के दिल जीत लेने वाले शेर.
इंक़लाब आएगा
इंक़लाब आएगा रफ़्तार से मायूस न हो, बहुत आहिस्ता नहीं है जो बहुत तेज नहीं.
ज़िंदगी से सौग़ातें
सौ मिलीं ज़िंदगी से सौग़ातें, हम को आवारगी ही रास आई.
वादी-ए-ग़म
दामन झटक के वादी-ए-ग़म से गुज़र गया, उठ उठ के देखती रही गर्द-ए-सफर मुझे.
हिकायतें भी बहुत
शिकायतें भी बहुत हैं हिकायतें भी बहुत, मज़ा तो जब है कि यारों के रू-ब-रू कहिए.
सदा-ए-इंक़लाब
बहुत बर्बाद हैं लेकिन सदा-ए-इंक़लाब आए, वहीं से वो पुकार उठेगा जो ज़र्रा जहाँ होगा.
चमन में आवारा
तू वो बहार जो अपने चमन में आवारा, मैं वो चमन जो बहाराँ के इंतिज़ार में है.