12 Dec 2025

'ये ज़िंदगी जिसे ढूंडा था आसमानों में...' पढ़ें किश्वर नाहीद के बेहतरीन शेर.

दिल नहीं करता

उसे ही बात सुनाने को दिल नहीं करता, वो शख़्स जिस के लिए ज़िंदगी समाअ'त थी.

पुकारे तो हैरत

अपना नाम भी अब तो भूल गई 'नाहीद', कोई पुकारे तो हैरत से तकती हूं.

रिश्ता है 

एक मौहूम सा रिश्ता है सो रखना इस को, तुम जहाँ जाओ समझ लेना वहीं हम भी थे.

आसमानों में

ये ज़िंदगी जिसे ढूंडा था आसमानों में, हवा के हाथ पे लिक्खी हुई इबारत थी.

उड़ती हुई धूप 

कौन जाने कि उड़ती हुई धूप भी, किस तरफ़ कौन सी मंज़िलों में गई.

तावीज़ भी 

तअल्लुक़ात के तावीज़ भी गले में नहीं, मलाल देखने आया है रास्ता कैसे.