07 Dec 2025
'मैं ने कहा कि देख ये मैं ये हवा ये रात...' अहमद मुश्ताक के ये शेर पढ़कर हो जाएंगे दिवाने.
नए दीवानों
नए दीवानों को देखें तो ख़ुशी होती है, हम भी ऐसे ही थे जब आए थे वीराने में.
क़िस्सा हमारा
पता अब तक नहीं बदला हमारा, वही घर है वही क़िस्सा हमारा.
इक बात
तन्हाई में करनी तो है इक बात किसी से, लेकिन वो किसी वक़्त अकेला नहीं होता.
बिखर जाता है
एक लम्हे में बिखर जाता है ताना-बाना, और फिर उम्र गुज़र जाती है यकजाई में.
मैं ये हवा
मैं ने कहा कि देख ये मैं ये हवा ये रात, उस ने कहा कि मेरी पढ़ाई का वक़्त है.
कहीं मौजूद
तू अगर पास नहीं है कहीं मौजूद तो है, तेरे होने से बड़े काम हमारे निकले.