'अपनी बे-चेहरगी छुपाने को...' पढ़ें मर्दों को चुनौती देने वाली किश्वर नाहिद के शेर.

हमें देखो हमारे पास बैठो हम से कुछ सीखो, हमीं ने प्यार मांगा था हमीं ने दाग पाए हैं.

प्यार मांगा

अब सिर्फ लिबास रह गया है, वो ले गया कल बदन चुरा कर.

बदन चुरा

जवान गेहूं के खेतों को देख कर रो दें, वो लड़कियां कि जिन्हें भूल बैठीं माएं भी.

जवान गेहूं

अपनी बे-चेहरगी छुपाने को, आईने को इधर उधर रक्खा.

बे-चेहरगी

पानी का बहाव थम गया है, निकली है नदी से वो नहा कर.

तेरे रतजगों