29 Nov 2025
'आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैर...' पढ़ें अहमद फ़राज़ के सदाबहार शेर.
सही दिल
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ.
मिल गई मंज़िल
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल, कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा.
एक दुनिया
हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा'द ये मा'लूम, कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी.
जुदाई का सबब
किस किस को बताएंगे जुदाई का सबब हम, तू मुझ से खफा है तो जमाने के लिए आ.
बिछड़ जाने
दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है, और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता.
बीत गया
आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैर, जिस के होते हुए होते थे जमाने मेरे.