'अफ्सोस है कि बख्त हमारा उलट गया', पढ़ें आबरू शाह मुबारक के मशहूर शेर.

तुम्हारे लोग कहते हैं कमर है, कहां है किस तरह की है किधर है.

किस तरह

जलता है अब तलक तिरी ज़ुल्फों के रश्क से, हर-चंद हो गया है चमन का चराग गुल.

तिरी ज़ुल्फों

 बोसां लबां सीं देने कहा कह के फिर गया, प्याला भरा शराब का अफ्सोस गिर गया.

प्याला भरा शराब

बोसे में होंट उल्टा आशिक का काट खाया, तेरा दहन मजे सीं पुर है पे है कटोरा.

होंट उल्टा

 अफ्सोस है कि बख्त हमारा उलट गया, आता तो था पे देख के हम कूं पलट गया.

बख्त हमारा

नमकीं गोया कबाब हैं फीके शराब के, बोसा है तुझ लबां का मज-दार चटपटा.

फीके शराब