05 Oct 2025
'रात तो वक्त की पाबंद है ढल जाएगी...' पढ़ें दिल को लुभाने वाले वसीम बरेलवी के शेर.
ज़ाहिर है
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएं कैसे, तेरी मर्ज़ी के मुताबिक नजर आएं कैसे.
रौशनी लुटाएगा
जहां रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा, किसी चराग का अपना मकां नहीं होता.
झूट बोल
वो झूट बोल रहा था बड़े सलीके से, मैं ए'तिबार न करता तो और क्या करता.
वक्त की पाबंद
रात तो वक्त की पाबंद है ढल जाएगी, देखना ये है चरागों का सफर कितना है.
बुलंदी पे
आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है, भूल जाता है जमीं से ही नजर आता है.
सफर में
कुछ है कि जो घर दे नहीं पाता है किसी को, वर्ना कोई ऐसे तो सफर में नहीं रहता.