'तेरी आंखों का कुछ कुसूर नहीं...' पढ़ें जिगर मुरादाबादी के दिल जीत लेने वाले शेर.
दिल में किसी के राह किए जा रहा हूं मैं, कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं.
हम को मिटा सके ये जमाने में दम नहीं, हम से जमाना खुद है जमाने से हम नहीं.
जो तूफानों में पलते जा रहे हैं, वही दुनिया बदलते जा रहे हैं.
तेरी आंखों का कुछ कुसूर नहीं, हां मुझी को खराब होना था.
तिरे जमाल की तस्वीर खींच दूं लेकिन, जबां में आंख नहीं आंख में जबान नहीं.
इतने हिजाबों पर तो ये आलम है हुस्न का, क्या हाल हो जो देख लें पर्दा उठा के हम.