'इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊं...' पढ़ें जॉन एलिया के सदाबहार शेर.
मुस्तकिल बोलता ही रहता हूं, कितना खामोश हूं मैं अंदर से
मुस्तकिल
मुझे अब तुम से डर लगने लगा है, तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या.
मोहब्बत
सोचता हूं कि उस की याद आखिर, अब किसे रात भर जगाती है.
सोचता हूं
इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊं, वगरना यूं तो किसी की नहीं सुनी मैं ने.
मजबूर कर
उस गली ने ये सुन के सब्र किया, जाने वाले यहां के थे ही नहीं.
सब्र किया
और तो क्या था बेचने के लिए, अपनी आंखों के ख्वाब बेचे हैं.
क्या था