'कोई कहता था समुंदर हूं मैं...' पढ़ें कैफी आजमी के शानदार शेर.
गर डूबना ही अपना मुकद्दर है तो सुनो, डूबेंगे हम जरूर मगर नाख़ुदा के साथ.
बेलचे लाओ खोलो जमीं की तहें, मैं कहां दफ्न हूं कुछ पता तो चले.
कोई कहता था समुंदर हूं मैं, और मिरी जेब में कतरा भी नहीं.
बहार आए तो मेरा सलाम कह देना, मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने.
इतना तो जिंदगी में किसी के खलल पड़े, हंसने से हो सुकून न रोने से कल पड़े.
जो इक खुदा नहीं मिलता तो इतना मातम क्यूं, यहां तो कोई मिरा हम-जबां नहीं मिलता.