16 Nov 2025
'मेरा बचपन भी साथ ले आया...' पढ़ें कैफी आजमी के शानदार शेर.
छुपा रहे हो
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो, क्या गम है जिस को छुपा रहे हो.
गुज़र जाए कारवां
अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवां, वीरानियां तो सब मिरे दिल में उतर गईं.
ज़िम्मा ले
कोई तो सूद चुकाए कोई तो ज़िम्मा ले, उस इंकलाब का जो आज तक उधार सा है.
मेरा बचपन
मेरा बचपन भी साथ ले आया, गांव से जब भी आ गया कोई..
अपना मुकद्दर
गर डूबना ही अपना मुकद्दर है तो सुनो, डूबेंगे हम जरूर मगर नाख़ुदा के साथ.
गर्म अश्क
जिस तरह हंस रहा हूं मैं पी पी के गर्म अश्क, यूं दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े.