'वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का...' नासिर काजमी के इन शेर से घायल हो जाते हैं लोग.

दाएम आबाद रहेगी दुनिया, हम न होंगे कोई हम सा होगा.

आबाद रहेगी

दिल धड़कने का सबब याद आया, वो तिरी याद थी अब याद आया.

दिल धड़कने

आज देखा है तुझ को देर के बअ'द, आज का दिन गुजर न जाए कहीं.

गुजर न जाए

 वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का, जो पिछली रात से याद आ रहा है.

पिछली रात

आरजू है कि तू यहां आए, और फिर उम्र भर न जाए कहीं.

उम्र भर

भरी दुनिया में जी नहीं लगता, जाने किस चीज की कमी है अभी.

भरी दुनिया