'हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी...' निदा फाजली के दिल जीतने वाले शेर.

 कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं जमीन कहीं आसमां नहीं मिलता.

मुकम्मल जहां

 धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो, जिंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो.

घटाओं में नहा

हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी, जिस को भी देखना हो कई बार देखना.

दस बीस आदमी

होश वालों को खबर क्या बे-खुदी क्या चीज है, इश्क कीजे फिर समझिए जिंदगी क्या चीज है.

क्या बे-खुदी

दुश्मनी लाख सही खत्म न कीजे रिश्ता, दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए.

खत्म न कीजे

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है, सब ने इंसान न बनने की कसम खाई है.

सब ने इंसान