14 Dec 2025

'सुना है हमें वो भुलाने लगे हैं...' पढ़ें खुमार बाराबंकवी के जमाने पुराने शेर.

रफ़्ता रफ़्ता

भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम, किस्तों में खुद-कुशी का मजा हम से पूछिए.

 जमाने लगे

वही फिर मुझे याद आने लगे हैं, जिन्हें भूलने में जमाने लगे हैं.

मोहब्बत है

ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ को, ये कहने में मुझ को जमाने लगे हैं.

 मस्त मस्त आंखों

खुदा बचाए तिरी मस्त मस्त आंखों से, फरिश्ता हो तो बहक जाए आदमी क्या है.

भुलाने लगे

सुना है हमें वो भुलाने लगे हैं, तो क्या हम उन्हें याद आने लगे हैं.

 तब्सिरा कीजिए

दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए, सामने आइना रख लिया कीजिए.