02 Nov 2025
'दोस्ती जब किसी से की जाए...' पढ़ें राहत इंदौरी के सदाबहार शेर.
शाखों से
शाखों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हम, आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे.
हम-सफर
न हम-सफर न किसी हम-नशीं से निकलेगा, हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा.
मुसाफिर
हम से पहले भी मुसाफिर कई गुजरे होंगे, कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते.
नाटक पुराना
नए किरदार आते जा रहे हैं, मगर नाटक पुराना चल रहा है.
नुमाइश में खलल
रोज तारों को नुमाइश में खलल पड़ता है, चांद पागल है अंधेरे में निकल पड़ता है.