06 Dec 2025
'लोग बे-मेहर न होते होंगे...' पढ़ें अदा जाफ़री के शानदार शेर.
दिल की मंज़िल
हज़ार कोस निगाहों से दिल की मंज़िल तक, कोई क़रीब से देखे तो हम को पहचाने.
भटक जाओगे
दिल के वीराने में घूमे तो भटक जाओगे, रौनक़-ए-कूचा-ओ-बाज़ार से आगे न बढ़ो.
चेहरों के आइने
कुछ इतनी रौशनी में थे चेहरों के आइने, दिल उस को ढूँढता था जिसे जानता न था.
ज़िंदगी ने बसर
हुआ यूं कि फिर मुझे ज़िंदगी ने बसर किया, कोई दिन थे जब मुझे हर नजारा हसीं मिला.
दिल को हुआ
लोग बे-मेहर न होते होंगे, वहम सा दिल को हुआ था शायद.
जश्न-ए-महरूमी
बस एक बार मनाया था जश्न-ए-महरूमी, फिर उस के बाद कोई इब्तिला नहीं आई.