24 JULY 2025
'खुशबू जैसे लोग मिले अफ्साने में...' पढ़ें गुलजार के सदाबहार शेर.
वाकिआ तुम्हारा
कल का हर वाकिआ तुम्हारा था, आज की दास्तां हमारी है.
उमडती बारिश
मैं चुप कराता हूं हर शब उमडती बारिश को, मगर ये रोज गई बात छेड़ देती है.
शब लिपट
तुम्हारे ख्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं, सजाएं भेज दो हम ने खताएं भेजी हैं.
खुशबू
खुशबू जैसे लोग मिले अफ्साने में, एक पुराना खत खोला अनजाने में.
आहट सुनता हूं
दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है, किस की आहट सुनता हूं वीराने में.
रात जगाया
एक ही ख्वाब ने सारी रात जगाया है, मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की.