'दिल पागल है रोज नई नादानी करता है...' पढ़ें इफ्तिखार आरिफ के लाजवाब शेर.
मिट्टी की मोहब्बत में हम आशुफ्ता-सरों ने, वो कर्ज उतारे हैं कि वाजिब भी नहीं थे.
ख्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है, ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है.
दिल पागल है रोज नई नादानी करता है, आग में आग मिलाता है फिर पानी करता है.
मिरे खुदा मुझे इतना तो मो'तबर कर दे, मैं जिस मकान में रहता हूं उस को घर कर दे.