21 Nov 2025
'न जी भर के देखा न कुछ बात की...' पढ़ें बशीर बद्र के बेहतरीन शेर.
गुंजाइश रहे
1. दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे, जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों.
मजबूरियां
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं कोई बेवफ़ा नहीं होता.
मुलाक़ात की
न जी भर के देखा न कुछ बात की, बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की.
मुसाफिर हो
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफिर हो तुम भी, किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी.
ज़िंदगी तू
ज़िंदगी तू ने मुझे कब्र से कम दी है जमीं, पाँव फैलाऊं तो दीवार में सर लगता है.
हमेशा फ़ासला
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना, जहां दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता.