'शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ...' पढ़ें वसीम बरेलवी के शानदार शेर.

आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है, भूल जाता है जमीं से ही नजर आता है.

भूल जाता

वो दिन गए कि मोहब्बत थी जान की बाजी, किसी से अब कोई बिछड़े तो मर नहीं जाता.

मोहब्बत थी

रात तो वक्त की पाबंद है ढल जाएगी, देखना ये है चरागों का सफर कितना है.

चरागों का सफर

 वैसे तो इक आंसू ही बहा कर मुझे ले जाए, ऐसे कोई तूफान हिला भी नहीं सकता.

तूफान हिला

शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ, कीजे मुझे कुबूल मिरी हर कमी के साथ.

कुबूल मिरी

दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता तुम को भी तो अंदाजा लगाना नहीं आता

अंदाजा लगाना