01 Dec 2025

'खिड़की के रस्ते से लाया करता हूं...' पढ़ें जीशान साहिल के शानदार शेर.

भुलाए बैठा हूं

1. मैं ज़िंदगी के सभी गम भुलाए बैठा हूं, तुम्हारे इश्क से कितनी मुझे सहूलत है.

लाया करता हूं

खिड़की के रस्ते से लाया करता हूं, मैं बाहर की दुनिया ख़ाली कमरे में.

भूलने की हसरत

गुजर गई है मगर रोज याद आती है, वो एक शाम जिसे भूलने की हसरत है.

बहुत पीछे

जो हमें पा के भी खोने से बहुत पीछे था, हम उसे खो के भी पाने से बहुत आगे हैं.

दास्तान मुकम्मल

वो दास्तान मुकम्मल करे तो अच्छा है, मुझे मिला है जरा सा सिरा कहानी का.

ग़म में पुराने

कोई आ के हमें ढूंडेगा तो खो जाएगा, हम नए ग़म में पुराने से बहुत आगे हैं.