'हर नए हादसे पे हैरानी...' पढ़ें बाकी सिद्दीकी के दिल खुश करने वाले शेर.

तुम जमाने की राह से आए, वर्ना सीधा था रास्ता दिल का.

जमाने

दोस्त हर ऐब छुपा लेते हैं, कोई दुश्मन भी तिरा है कि नहीं.

दुश्मन भी तिरा

कश्तियां टूट गई हैं सारी, अब लिए फिरता है दरिया हम को.

कश्तियां टूट गई

हर नए हादसे पे हैरानी, पहले होती थी अब नहीं होती.

हादसे पे हैरानी

हर नए हादसे पे हैरानी, पहले होती थी अब नहीं होती.

हादसे पे हैरानी

हो गए चुप हमें पागल कह कर, जब किसी ने भी न समझा हम को.

हमें पागल