11 Dec 2025
'हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद...' पढ़ें मिर्जा गालिब के कुछ चुनिंदा शेर.
पर्दा-दारी
1. बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब', कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है.
वफ़ा क्या
हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफ़ा क्या है.
जमाने में कोई
रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो 'ग़ालिब', कहते हैं अगले जमाने में कोई 'मीर' भी था.
जुस्तुजू क्या
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा, कुरेदते हो जो अब राख जुस्तुजू क्या है.
मुंह से जाओगे
काबा किस मुंह से जाओगे 'ग़ालिब', शर्म तुम को मगर नहीं आती.
मुंह से जाओगे
बना कर फ़क़ीरों का हम भेस 'ग़ालिब', तमाशा-ए-अहल-ए-करम देखते हैं.