सागर आजमी के वह सदाबहार शेर जो युवाओं पर करते हैं राज.

कश्मीर की वादी में बे-पर्दा जो निकले हो, क्या आग लगाओगे बर्फीली चटानों में.

बे-पर्दा

शोहरत की फजाओं में इतना न उड़ो 'सागर', परवाज न खो जाए इन ऊंची उड़ानों में.

शोहरत की फजाओं

ये जो दीवार पे कुछ नक्श हैं धुंदले धुंदले, उस ने लिख लिख के मेरा नाम मिटाया होगा.

धुंदले धुंदले

बैठे थे जब तो सारे परिंदे थे साथ साथ, उड़ते ही शाख से कई सम्तों में बट गए.

परिंदे थे

फूलों से बदन उन के कांटे हैं जबानों में, शीशे के हैं दरवाजे पत्थर की दुकानों में.

फूलों से बदन