'लोग डरते हैं दुश्मनी से तिरी...' पढ़ें हबीब जालिब के शानदार शेर.

दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है, दोस्तों ने भी क्या कमी की है.

क्या कमी

लोग डरते हैं दुश्मनी से तिरी, हम तिरी दोस्ती से डरते हैं.

दुश्मनी से तिरी

पा सकेंगे न उम्र भर जिस को, जुस्तुजू आज भी उसी की है.

उम्र भर

उन के आने के बाद भी 'जालिब', देर तक उन का इंतिजार रहा. 

इंतिजार रहा

तुम्हें तो नाज बहुत दोस्तों पे था 'जालिब', अलग-थलग से हो क्या बात हो गई प्यारे.

अलग-थलग