04 Dec 2025

'वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े से...' पढ़ें वसीम बरेलवी के लाजवाब शेर.

 रौशनी लुटाएगा

जहां रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा, किसी चराग का अपना मकां नहीं होता.

सलीक़े से

वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े से, मैं ए'तिबार न करता तो और क्या करता.

सफ़र कितना

रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी, देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है.

 नज़र आता

आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है, भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है.

मोहब्बत थी

वो दिन गए कि मोहब्बत थी जान की बाज़ी, किसी से अब कोई बिछड़े तो मर नहीं जाता.

आँसू ही बहा 

वैसे तो इक आँसू ही बहा कर मुझे ले जाए, ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता..