Home Latest News & Updates हथियार के लाइसेंस के लिए इंदौर के प्रशिक्षक ने 8 साल तक लड़ी कानूनी लड़ाई, देश में इस तरह का पहला केस

हथियार के लाइसेंस के लिए इंदौर के प्रशिक्षक ने 8 साल तक लड़ी कानूनी लड़ाई, देश में इस तरह का पहला केस

by Sanjay Kumar Srivastava
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khukri Arms

लाइसेंस की शर्तों के अनुसार, तोमर को 8 अप्रैल 2028 तक इंदौर जिले की सीमा के भीतर निम्नलिखित हथियारों में से एक तलवार, खुखरी या खंजर रखने की अनुमति है.

Indore: मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के एक तकनीकी शिक्षा प्रशिक्षक (technical education instructor) को आठ साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जिला प्रशासन ने धारदार हथियार रखने का लाइसेंस दे दिया है. ऐसा दावा किया जा रहा है कि यह देश में इस तरह का पहला मामला है. लाइसेंसधारी सुभाष सिंह तोमर (57) ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य व्यक्तिगत उपयोग के लिए हथियार रखना नहीं था, बल्कि पश्चिमी मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदायों के खिलाफ ऐसे हथियार रखने के लिए दर्ज किए जा रहे आपराधिक मामलों को उजागर करना था, जिनका अक्सर कृषि और दैनिक आजीविका में उपयोग किया जाता है.

तीन साल के लिए जारी किया गया है लाइसेंस

जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने सोमवार को पुष्टि की कि इंदौर निवासी तोमर को तीन साल के लिए धारदार हथियार रखने का लाइसेंस जारी किया गया है. लाइसेंस की शर्तों के अनुसार, तोमर को 8 अप्रैल 2028 तक इंदौर जिले की सीमा के भीतर निम्नलिखित हथियारों में से एक तलवार, खुखरी या खंजर रखने की अनुमति है. तोमर ने कहा कि उनकी कानूनी लड़ाई 2017 में शुरू हुई जब उन्होंने शस्त्र अधिनियम 1959 का अध्ययन किया और सरकारी दस्तावेजों और कानूनी विवरणों का अध्ययन करने के बाद सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत कई आवेदन दायर किए.

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कहा- ऐसे हथियार रखने के लिए आदिवासियों पर दर्ज किए जाते हैं गलत केस

तोमर ने पीटीआई को बताया कि देश में पहली बार मुझे ऐसा लाइसेंस मिला है जिसके तहत मुझे कानूनी तौर पर एक निर्दिष्ट क्षेत्र में धारदार हथियार रखने की अनुमति है. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य निजी इस्तेमाल के लिए हथियार रखना नहीं था, बल्कि आदिवासी समुदायों की दुर्दशा को उजागर करना था, जिनके खिलाफ खेती के उद्देश्यों के लिए भी ऐसे हथियार रखने के लिए गलत तरीके से आपराधिक मामले दर्ज किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि मुझे पता चला कि पश्चिमी मध्य प्रदेश में आदिवासियों के खिलाफ धारदार हथियार रखने के लिए शस्त्र अधिनियम के तहत कई आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं. वे खेती और घास काटने के लिए ऐसे हथियारों का इस्तेमाल करते हैं.

आदिवासियों को अनुचित कानूनी कार्रवाई से बचाने के लिए करेंगे जागरूक

तोमर कहते हैं कि वह इन आदिवासियों में जागरूकता फैलाना चाहते हैं, जिससे उन्हें अनुचित कानूनी कार्रवाइयों का सामना न करना पड़े. उन्होंने कहा कि मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि धारदार हथियारों के लिए लाइसेंस कानूनी रूप से भी प्राप्त किया जा सकता है. शुरुआत में तोमर के आवेदन को बिना बताए खारिज कर दिया गया था, लेकिन उन्होंने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके अपनी कानूनी खोज जारी रखी. अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट रोशन राय ने पुष्टि की कि तोमर को लाइसेंस जारी किया गया है, जो कि इंदौर संभाग के आयुक्त (राजस्व) के 12 सितंबर, 2024 के आदेश के आधार पर उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के निर्देश के बाद जारी किया गया है.

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