प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ओडिशा स्थित एक कंपनी के प्रबंध निदेशक को गिरफ्तार किया है. आरोपी ने कथित तौर पर व्यावसायिक समूहों के लिए फर्जी बैंक गारंटी जारी करने का रैकेट चलाया था.
New Delhi: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ओडिशा स्थित एक कंपनी के प्रबंध निदेशक को गिरफ्तार किया है. आरोपी ने कथित तौर पर व्यावसायिक समूहों के लिए फर्जी बैंक गारंटी जारी करने का रैकेट चलाया था, जिसमें रिलायंस समूह की एक कंपनी के लिए कथित तौर पर 68 करोड़ रुपये का आश्वासन प्रदान करना भी शामिल था. संघीय जांच एजेंसी (ED)ने शुक्रवार को भुवनेश्वर स्थित बिस्वाल ट्रेडलिंक नामक कंपनी के खिलाफ धन शोधन के इस मामले में छापेमारी शुरू की थी. धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत शुक्रवार को बिस्वाल ट्रेडलिंक के प्रबंध निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल को भुवनेश्वर से हिरासत में लिया गया. उन्होंने बताया कि एक अदालत ने उन्हें 6 अगस्त तक प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेज दिया है.
आठ प्रतिशत कमीशन पर फर्जी बैंक गारंटी
यह मामला दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की नवंबर, 2024 की प्राथमिकी से जुड़ा है. ईडी ने शुक्रवार को कंपनी के भुवनेश्वर स्थित तीन परिसरों और कोलकाता स्थित एक “सहयोगी” इकाई की तलाशी शुरू की थी. बताया जाता है कि कंपनी आठ प्रतिशत कमीशन पर फर्जी बैंक गारंटी जारी करती थी. पुलिस ने बताया कि रिलायंस पावर की सहायक कंपनी रिलायंस एनयू बेस लिमिटेड की ओर से सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई) को जमा की गई 68.2 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी फर्जी पाई गई. कंपनी पहले महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड के नाम से जानी जाती थी. ईडी ने हाल ही में मुंबई में अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस समूह की कंपनियों पर छापा मारा था. इस दौरान इस लेनदेन से संबंधित कुछ दस्तावेज जब्त किए थे.
कंपनी के कई अघोषित बैंक खातों की जांच
रिलायंस समूह के एक प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा था कि इस मामले में रिलायंस पावर धोखाधड़ी, जालसाजी और धोखाधड़ी की साजिश का शिकार रही है और इसने 7 नवंबर, 2024 को स्टॉक एक्सचेंजों के समक्ष इस संदर्भ में उचित खुलासे किए हैं. प्रवक्ता ने कहा कि उनके द्वारा तीसरे पक्ष (आरोपी कंपनी) के खिलाफ अक्टूबर, 2024 में दिल्ली पुलिस ईओडब्ल्यू में एक आपराधिक शिकायत दर्ज कराई गई थी और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा. सूत्रों ने कहा कि कई कंपनियों के साथ इसी तरह के संदिग्ध वित्तीय लेनदेन का पता चला है और इसकी जांच की जा रही है. कंपनी पर आरोप है कि उसके कई अघोषित बैंक खाते हैं और उसके घोषित कारोबार से अधिक लेनदेन किए गए हैं. समझा जाता है कि एजेंसी ने कंपनी के लगभग सात अघोषित बैंक खातों का पता लगाया है.
फर्जी डोमेन का इस्तेमाल
यह पाया गया कि कंपनी वास्तविक sbi.co.in के बजाय एक ईमेल डोमेन – s-bi.co.in का उपयोग कर रही थी ताकि यह दिखावा किया जा सके कि यह पत्र देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा भेजा जा रहा है. सूत्रों ने कहा कि फर्जी डोमेन का इस्तेमाल एसईसीआई को जाली पत्र भेजने के लिए किया गया था, जो कि एसबीआई का प्रतिरूपण था. इस मामले में ईडी ने नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया को पत्र लिखा है और फर्जी ईमेल डोमेन के डोमेन पंजीकरण विवरण मांगे हैं. सूत्रों के अनुसार, ईडी की प्रारंभिक जांच से संकेत मिला है कि ओडिशा स्थित कंपनी ने कमीशन के लिए फर्जी बिलों की भी सुविधा दी है और कई अघोषित बैंक खातों का उपयोग किया है. उन्होंने कहा कि इन बैंक खातों के माध्यम से करोड़ों रुपये के संदिग्ध लेनदेन किए गए हैं. अपने संचार को छिपाने के लिए टेलीग्राम ऐप को ‘गायब संदेश’ सक्षम मोड में डाल दिया.
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