Maharashtra Lokayukta: महाराष्ट्र में भ्रष्ट IAS अफसर अब बच नहीं पाएंगे. फडणवीस सरकार ने उन पर शिकंजा कस दिया है. सूबे के IAS अफसर भी लोकायुक्त के दायरे में आ गए हैं.
Maharashtra Lokayukta: महाराष्ट्र में भ्रष्ट IAS अफसर अब बच नहीं पाएंगे. फडणवीस सरकार ने उन पर शिकंजा कस दिया है. सूबे के IAS अफसर भी लोकायुक्त के दायरे में आ गए हैं. महाराष्ट्र विधानसभा ने लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी है. इसके तहत पहली बार भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी और राज्य द्वारा नियुक्त कई अधिकारी भ्रष्टाचार विरोधी संस्था के दायरे में आएंगे. गुरुवार शाम को पारित संशोधन विधेयक ने महाराष्ट्र लोकायुक्त अधिनियम, 2023 के दायरे को बढ़ा दिया है. संशोधन विधेयक पेश करने वाले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि लोकायुक्त की निगरानी में आने वाले अधिकारियों के बारे में साफ छवि सुनिश्चित करने के लिए संशोधित प्रावधान आवश्यक थे. उन्होंने कहा कि संशोधन से यह स्पष्ट हो गया है कि केंद्रीय अधिनियमों के तहत गठित प्राधिकरणों में राज्य द्वारा नियुक्त आईएएस अधिकारी भी लोकायुक्त के अधीन आएंगे. इससे मौजूदा अस्पष्टता दूर हो जाएगी.
विधेयक बिना किसी बहस के पारित
संशोधनों में यह स्पष्ट किया गया है कि संसदीय अधिनियमों के तहत स्थापित विभिन्न बोर्डों, प्राधिकरणों और समितियों में राज्य सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी भी अब इसके दायरे में आएंगे. पहले यह अस्पष्टता थी कि ऐसे प्राधिकरण लोकायुक्त के अधिकार क्षेत्र में आते हैं या लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत गठित लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में. संशोधनों के अनुसार, इसका उद्देश्य केवल केंद्रीय अधिनियमों के तहत राज्य द्वारा नियुक्त प्राधिकरणों को शामिल करना है, जबकि केवल केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उन प्राधिकरणों को बाहर रखना है जो लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. इन परिवर्तनों का उद्देश्य दोनों निकायों के बीच अधिकार क्षेत्र के अतिक्रमण के संदेह को दूर करना है. इस विधेयक में निरस्त केंद्रीय अधिनियमों के संदर्भों को भी अद्यतन किया गया है, जिसमें भारतीय दंड संहिता को भारतीय न्याय संहिता और इसी तरह के अद्यतन कानूनों से प्रतिस्थापित किया गया है. संशोधनों को बिना किसी बहस के पारित कर दिया गया.
राष्ट्रपति कार्यालय से मिले सुझाव पर तैयार किया गया विधेयक
फडणवीस ने कहा कि विधेयक को राष्ट्रपति कार्यालय से प्राप्त सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है और संशोधित कानून को आगे अनुमोदन के लिए वापस भेजने की आवश्यकता नहीं है. विधेयक में अब आईएएस अधिकारियों को स्पष्ट रूप से लोकायुक्त के दायरे में लाया गया है. हालांकि किसी भी जांच के लिए मुख्यमंत्री की स्वीकृति के साथ-साथ मुख्य सचिव के विचार भी आवश्यक होंगे. पिछली सरकार के दौरान पारित मूल अधिनियम के अनुसार, वर्तमान या पूर्व मुख्यमंत्री के विरुद्ध जांच की अनुमति देने के लिए विधानसभा में दो-तिहाई बहुमत आवश्यक है. मंत्रियों और विधायकों के विरुद्ध जांच के लिए राज्यपाल, मंत्रियों के समूह या विधानसभा अध्यक्ष से भी इसी प्रकार की स्वीकृति अनिवार्य है. यहां तक कि नगर निगम पार्षदों या सरपंचों की जांच के लिए भी लोकायुक्त को संबंधित मंत्री की सहमति लेनी होगी.
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