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Tejas की डिलीवरी में देरी पर नाराज हुए वायुसेना प्रमुख, जानें क्यों जरूरी है LCA फाइटर जेट?

by Divyansh Sharma
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LCA Tejas: यह पहली बार नहीं है जब वायुसेना प्रमुख ने इस पर नाराजगी जाहिर की है. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि ‘तेजस’ वायु सेना के लिए महत्वपूर्ण क्यों है?

LCA Tejas: LCA यानि हल्के लड़ाकू विमान ‘तेजस’ को लेकर वायुसेना प्रमुख एपी सिंह काफी नाराज दिख रहे हैं. ‘तेजस’ बनाने वाली कंपनी HAL यानि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड पर वायुसेना प्रमुख को भरोसा नहीं है. दरअसल, उन्होंने HAL की ओर से विमानों की डिलीवरी में हो रही देरी पर खुलकर नाराजगी जाहिर की है. बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब वायुसेना प्रमुख ने इस देरी पर नाराजगी जाहिर की है. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि ‘तेजस’ भारतीय वायु सेना के लिए महत्वपूर्ण क्यों है?

1984 में की गई थी ‘तेजस’ की परिकल्पना

इस मामले पर HAL के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डी.के. सुनील का बयान सामने आया है. उन्होंने बुधवार को कहा कि यह देरी केवल इंडस्ट्री के कमजोर होने के कारण नहीं है, कई और कारण भी शामिल थे. उन्होंने एयरो इंडिया 2025 कार्यक्रम में संवाददाताओं से कहा ‘तेजस’ की डिलीवरी कुछ तकनीकी मुद्दे थे, जिन्हें सुलझा लिया गया है. वायुसेना प्रमुख की चिंता समझी जा सकती है. अध्यक्ष के मुताबिक कई स्तरों पर बैठकें हो चुकी हैं और HAL जल्द ही विमान की आपूर्ति कर देगा.

बता दें कि भारतीय रक्षा मंत्रालय ने साल 2022 में कुल 123 ‘तेजस’ जेट का ऑर्डर दिया था. साल 1984 में ‘तेजस’ की परिकल्पना की गई थी और साल 2001 में इस जेट ने पहली बार उड़ान भरी थी. ‘तेजस’ फाइटर जेट्स को पहली साल 2016 में पहली बार वायु सेना में शामिल किया था. LCA के 20 तेजस विमानों के पहले स्क्वाड्रन को तमिलनाडु के सुलूर वायु सेना बेस पर तैनात किया गया था. बता दें कि LCA का सीधा मुकाबला दक्षिण कोरियाई FA-50 और चीनी JF-17 थंडर से है. इन विमानों को अपने देशों की वायु सेनाओं में शामिल किया जा चुका है. ऐसे में भारतीय वायु सेना के लिए तेजस जरूरी हो गया है.

LCA ‘तेजस’ की खूबियां

  • पुराने हो चुके मिग 21 लड़ाकू विमानों की जगह लेंगे.
  • HAL की ओर से विकसित HAL HF-24 मारुत के बाद दूसरा सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है.
  • तेजस सिंगल पायलट-सिंगल इंजन वाला सबसे हल्का और सबसे छोटा बहुउद्देश्यीय हल्का लड़ाकू विमान है.
  • हवा से हवा, हवा से सतह, सटीक निर्देशित, निगरानी, टोही और हथियारों को ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है.
  • साल 2024-25 तक भारतीय वायु सेना को 123 तेजस विमान डिलीवरी करनी है.
  • अधिकतम टेकऑफ वजन 13,300 किलोग्राम है.
  • तेजस मैक 1.8 की अधिकतम गति तक पहुंच सकता है.
  • अधिकतम पेलोड क्षमता 4000 किलोग्राम है.
  • सामान्य रेंज 850 किलोमीटर और लड़ाकू रेंज 500 किलोमीटर है.
  • हवा में ईंधन भरने में सक्षम

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वर्तमान में फाइटर जेट के 32 स्क्वाड्रन

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबित भारतीय वायुसेना के पास वर्तमान में फाइटर जेट के 32 स्क्वाड्रन हैं. इसमें 16-18 विमानों को शामिल किया गया है. युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान और चीन के खिलाफ दो-मोर्चे के खतरे से निपटने के लिए 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है. अगले दो-तीन सालों में सोवियत युग के मिग-21 लड़ाकू विमानों के सभी चार स्क्वाड्रन रिटायर्ड हो जाएंगे. वहीं, भारतीय वायुसेना के जगुआर, मिग-29 और मिराज 2000 जेट के स्क्वाड्रन भी साल 2029-30 के बाद रिटायर कर दिए जाएंगे. बता दें कि इन्हें 1980 के दशक के दौरान वायु सेना में शामिल किया गया था.

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