Home Latest News & Updates तुर्की का बहिष्कारः पाक का समर्थन करने पर कानपुर ने इस्तांबुल यूनिवर्सिटी के साथ खत्म किया शैक्षणिक समझौता

तुर्की का बहिष्कारः पाक का समर्थन करने पर कानपुर ने इस्तांबुल यूनिवर्सिटी के साथ खत्म किया शैक्षणिक समझौता

by Sanjay Kumar Srivastava
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कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति पाठक ने बताया कि यह निर्णय सीधे तौर पर तुर्की द्वारा खुद को पाकिस्तान जैसे देश के साथ जोड़ने के कारण लिया गया है.

Kanpur (UP): छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) ने इस्तांबुल विश्वविद्यालय (तुर्किये) के साथ अपने समझौता ज्ञापन (एमओयू) को तत्काल समाप्त करने की घोषणा की है. सीएसजेएमयू अधिकारियों के अनुसार, यह निर्णय तुर्किये के उन देशों के साथ गठबंधन से उपजा है जो भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए खुले तौर पर खतरा बने हैं.

कुलपति ने कहा- राष्ट्र से ऊपर कुछ भी नहीं

कुलपति विनय पाठक ने कहा कि हमने इस्तांबुल विश्वविद्यालय को आवश्यक परिस्थितियों के बारे में लिखित रूप से सूचित किया है कि सीएसजेएमयू ने हाल ही में निष्पादित एमओयू को औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया है. पाठक ने बताया कि यह निर्णय सीधे तौर पर तुर्की द्वारा खुद को पाकिस्तान जैसे देश के साथ जोड़ने के कारण लिया गया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह हमारा दृढ़ विश्वास है कि पाकिस्तान के रणनीतिक सहयोगी के साथ सीधे या मौन रूप से जुड़ा कोई संस्थान विश्वसनीय नहीं हो सकता है. कुलपति ने इस बात पर जोर दिया कि अकादमिक उत्कृष्टता महत्वपूर्ण है, राष्ट्र से ऊपर कुछ भी नहीं है.

पिछले साल नवंबर में हुआ था समझौता

कुलपति ने बताया कि पिछले साल नवंबर में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन का उद्देश्य अकादमिक और शोध सहयोग के साथ-साथ संकाय आदान-प्रदान को बढ़ावा देना था. समझौते के तहत छात्रों को अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक मानकों, संयुक्त शोध पहलों और नवाचार-संचालित कार्यक्रमों के संपर्क से लाभान्वित होने की उम्मीद थी. अपने पत्र में पाठक ने यह स्पष्ट किया कि सीएसजेएमयू की अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी भारत के संप्रभु और रणनीतिक हितों के साथ संरेखित होनी चाहिए. भारतीय विश्वविद्यालय संघ (AIU) के अध्यक्ष के रूप में विनय पाठक ने भारत भर के सभी साथी कुलपतियों और अकादमिक नेताओं से एक अपील भी जारी की है. उन्होंने उनसे पारंपरिक अकादमिक सीमाओं से ऊपर उठकर एक सैद्धांतिक और देशभक्तिपूर्ण रुख अपनाने का आग्रह किया.

देश की संप्रभुता की रक्षा में एकजुट हैं भारतवासी

पाठक ने तत्काल समीक्षा करने और यदि आवश्यक हो तो पाकिस्तान, तुर्की और बांग्लादेश में विश्वविद्यालयों या संस्थानों के साथ किसी भी साझेदारी, समझौता ज्ञापन, विनिमय कार्यक्रम या शोध संबंधों को निलंबित या समाप्त करने का आह्वान किया, जहां भारत विरोधी विचारों या आतंकवादी प्रचार के समर्थन का स्पष्ट सबूत है. पाठक ने कहा कि हम दुनिया को संदेश भेजें कि भारत के शैक्षणिक संस्थान आतंकवाद की निंदा और देश की संप्रभुता की रक्षा में एकजुट हैं. हम किसी भी ऐसी संस्था के साथ सहयोग नहीं करेंगे जो हमारे देश की अखंडता को कमजोर करती है या इसके लोगों के जीवन को खतरे में डालती है.

तुर्की के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों में भी तनाव

पहलगाम आतंकी हमले के बाद इस्लामाबाद का समर्थन करने और भारतीय सशस्त्र बलों के ऑपरेशन सिंदूर की निंदा करने के कारण तुर्की के साथ भारत के रिश्तों में भी तनाव आ सकता है. भारतीय तुर्की के सामान का बहिष्कार भी कर रहे हैं और ऑनलाइन ट्रैवल प्लेटफॉर्म जैसे कि ईजमाईट्रिप और इक्सिगो के साथ पश्चिम एशियाई देश की अपनी यात्राएं रद्द कर रहे हैं.

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