Nirav Modi Case : नीरव मोदी की सुनवाई एक बार फिर टल गई है और इस बार जेल अधिकारियों की तरफ से जरूरी कागजात को उपलब्ध नहीं कराया गया. इसके कारण सुनवाई टल गई.
Nirav Modi Case : भारत में धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी की एक अपील को लंदन की एक अदालत ने मंजूरी दे दी है. यह अपील बैंक ऑफ इंडिया के एक अलग अनपेड लोन केस में ट्रायल को यूके की जेलों में देरी के कारण मार्च तक टालने के लिए थी. 54 वर्षीय आरोपी पर अनुमानित 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) लोन घोटाले मामले में भारत में प्रत्यर्पण का सामना करे रहे हैं. शुक्रवार को 8 मिलियन अमेरिकी डॉलर के बैंक ऑफ इंडिया केस की ऑनलाइन रिव्यू सुनवाई में जज साइमन टिंकलर ने नीरव की उस अर्जी को आंशिक रूप से मंजूरी दे दी है, जिसमें जनवरी में होने वाले 8 दिवसीय ट्रायल को कुछ हफ्तों के लिए अगले साल 23 मार्च तक टालने की बात कही थी.
कागज पहुंचने को लेकर हुई देरी
नीरव मामले में यह देरी यूके जेल अधिकारियों द्वारा जरूरी कानूनी कागजात उपलब्ध कराने को लेकर हुई है. इस पर जस्टिस टिंकलर ने कहा कि मेरे फैसले के मुताबिक इस बात पर संदेह होना चाहिए कि क्या वह कागज कभी मिस्टर मोदी तक पहुंचेंगे और अगर वह यहां पर मौजूद हैं उसके बाद भी. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि डिस्क्लोजर बंडल की गैरमौजूदगी खासकर ऐसी तारीख पर जो अब एक बड़ी रकम के ट्रायल से सिर्फ चार हफ्ते पहले है , मिस्टर नीरव मोदी को ऐसी स्थिति में डाल देती है जहां पर मैं इस बात से संतुष्ट नहीं हूं कि अगर ट्रायल आगे बढ़ा तो वह निष्पक्ष होगा. इसलिए मैं उनकी सुनवाई टालने की अर्जी मंजूर करने का प्रस्ताव दे रहा हूं.
क्लाइंट को होगा काफी नुकसान
वहीं, नीरव की तरफ से पेश हुए बैरिस्टर जेम्स किनमैन ने इस महीने की शुरुआत में पिछले रिव्यू सुनवाई की दलील को दोहराया कि अगर ट्रायल में देरी नहीं हुई तो उनके क्लाइंट को काफी नुकसान होगा. उन्होंने यह भी बताया कि हालिया भारतीय प्रेस रिपोर्टों ने नीरव की गोपनीय प्रक्रिया के बारे में पूरी तस्वीर बिल्कुल नहीं दिखाई है, जो उनके प्रत्यर्पण को रोक रही है. माना जाता है कि यह शरण के आवेदन का जिक्र है जो कथित तौर पर अगस्त में पूरा हुआ था. उन्होंने दावा किया कि इसमें और भी बहुत कुछ है और कहा कि हालांकि वह इस मामले में कोई और जानकारी शेयर नहीं कर सकते. लेकिन नीरव के अक्तूबर 2026 से पहले भारत प्रत्यर्पित होने की संभावना नहीं है. बैंक ऑफ इंडिया के बैरिस्टर, टॉम बेजली ने PNB मामले में आरोपी के भारत प्रत्यर्पित होने से पहले ट्रायल हो सके, यह सुनिश्चित करने के लिए लंबी सुनवाई टालने का विरोध किया.
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