Home Latest News & Updates इस फिल्म निर्देशक से महिला ने सहमति से बनाए थे शारीरिक संबंध, दिल्ली हाईकोर्ट ने दी जमानत

इस फिल्म निर्देशक से महिला ने सहमति से बनाए थे शारीरिक संबंध, दिल्ली हाईकोर्ट ने दी जमानत

by Sanjay Kumar Srivastava
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उच्च न्यायालय ने कहा कि महिला ने अपने हलफनामे में गवाही दी है कि वह मिश्रा के साथ रिश्ते में रह रही थी और उसने सहमति से उनके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे.

New Delhi: फिल्म निर्देशक सनोज कुमार मिश्रा को कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. दुष्कर्म के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म निर्देशक सनोज कुमार मिश्रा को जमानत दे दी है. महिला ने कोर्ट को बताया कि उसे जमानत पर कोई आपत्ति नहीं है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने फिल्म निर्देशक सनोज कुमार मिश्रा को जमानत देते हुए कहा कि यह मामला यौन अपराधों की झूठी शिकायतें दर्ज कराने के हालिया चलन को दर्शाता है. उच्च न्यायालय ने कहा कि महिला ने अपने हलफनामे में गवाही दी है कि वह मिश्रा के साथ रिश्ते में रह रही थी और उसने सहमति से उनके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे.

शिकायतकर्ता पर होगी एफआईआर

महिला ने बताया कि उसने मिश्रा के कुछ प्रतिद्वंद्वियों के प्रभाव में शिकायत दर्ज कराई थी. न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया को नबी करीम के एसएचओ ने बताया कि उन्होंने शिकायतकर्ता महिला और उन सभी लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिन्होंने आरोपी के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराने की साजिश रची थी. यह एक और मामला है, जो यौन अपराधों की झूठी शिकायतें दर्ज कराने के हालिया चलन को दर्शाता है.

झूठी शिकायतों पर कोर्ट सख्त

कोर्ट ने कहा कि यौन अपराधों की हर झूठी शिकायत न केवल अपराध के आरोपी व्यक्ति को भारी नुकसान पहुंचाती है, बल्कि पूरे समाज में संदेह और अविश्वास भी पैदा करती है, जिससे यौन अपराधों के वास्तविक पीड़ितों को भी नुकसान उठाना पड़ता है. क्योंकि समाज को उसकी सच्ची शिकायत पर भी संदेह होने लगता है. कोर्ट ने कहा कि ऐसी झूठी शिकायतों से सख्ती से निपटना होगा. जमानत का आदेश 30 मई को पारित हुआ. मिश्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित चड्ढा ने कहा कि उनके मुवक्किल को शिकायतकर्ता ने फिल्म उद्योग में मौका देने के लिए मजबूर करने के लिए झूठा फंसाया है.

10 हजार रुपये के निजी मुचलके पर मिली जमानत

वकील ने तर्क दिया कि आरोपी और अभियोक्ता लंबे समय से लिव-इन रिलेशनशिप में थे, वह भी मुंबई में. कोर्ट में अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि दिल्ली का कोई क्षेत्राधिकार नहीं था, क्यों कि कथित अपराध मध्य प्रदेश के ओरछा में हुआ था. अदालत ने यह भी नोट किया कि हलफनामे में शिकायतकर्ता ने भी गवाही दी है कि अगर आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है. न्यायमूर्ति कठपालिया ने परिस्थितियों पर विचार करते हुए कहा कि उन्हें आरोपी को स्वतंत्रता से वंचित करने का कोई कारण नहीं मिला. अदालत ने उन्हें 10 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर जमानत दे दी. इससे पहले उच्च न्यायालय ने मिश्रा को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था. उन पर 30 मार्च को धारा 376 (बलात्कार), 354 सी (दृश्यरतिकता), आईपीसी की धारा 323 (चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

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