Justice Varma Case : लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है. ऐसे में इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन करने का एलान किया गया है.
Justice Varma Case : इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा (Yashwant Varma)के घर पर मिले जले नोट के मामले में मुश्किलें खत्म नहीं हो रही हैं. ऐसे में अब एक नया मोड़ आ गया है. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है. ऐसे में इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन करने का एलान किया गया है. इसके साथ जस्टिस वर्मा के महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
प्रस्ताव में कुल 146 सदस्यों के हस्ताक्षर
सूत्रों का माने तो इस प्रस्ताव पर कुल 146 सदस्यों ने साइन किए हैं. इनमें सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों पक्षों के नेता शामिल हैं. लोकसभा स्पीकर ने एक जांच कमेटी भी बनाई है. इस कमेटी में शामिल जजों का नामों का भी एलान किया गया है. बनाई गई जांच कमेटी में ओम बिरला ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के एक-एक जज को शामिल किया है. जांच कमेटी की रिपोर्ट आने तक महाभियोग का प्रस्ताव लंबित रहेगा. कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति अरविंद कुमार, कर्नाटक हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट बीबी आचार्य और मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव को शामिल किया गया है.
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क्या है जस्टिस वर्मा के खिलाफ पूरा मामला?
यहां पर आपको बता दें कि इस साल 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लग गई थी. इस दौरान वह दिल्ली हाईकोर्ट में थे. जानकारी मिलने के बाद दिल्ली फायर सर्विस की टीम उनके घर पहुंची. फायरब्रिगेड ने आग पर तो काबू पा लिया, लेकिन इसके बाद से कई चौकाने वाले खुलासे हुए. जस्टिस वर्मा के स्टोर रूम से 500-500 रुपए के जले हुए नोटों के बंडल मिला, जो कि बोरे में भरकर रखे गए थे. इसके बाद से उनके खिलाफ लगातार जांच चल रही थी.
महाभियोग प्रस्ताव क्या होता है
गौरतलब है कि इसका उपयोग उस समय किया जाता है जब हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी जज को हटाने के लिए संसद के दोनों सदनों में से किसी में भी महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है. ये प्रस्ताव सबसे पहले राज्यसभा के सभापति या लोकसभा स्पीकर के सामने पेश किया जाता है. फिर प्रस्ताव की जांच के लिए कमेटी का गठन किया जाता है. इसमें सुप्रीम कोर्ट के जज, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और विशेष कानूनी विशेषज्ञ को शामिल किया जाता है.
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