Delhi News : दिल्ली से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. लोकायुक्त की जांच में एक BJP का नेता पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं लेकिन उस पर सिस्टम कोई भी कार्रवाई नहीं कर रहा है.
Delhi News : दिल्ली में भ्रष्टाचार के गंभीर मामले में लोकायुक्त की रिपोर्ट जारी होने के बाद भी व्यवस्था कार्रवाई नहीं कर रही है. अब किसी भी स्तर पर कार्रवाई नहीं होने के बाद सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. यह पूरा मामला BJP नेता और पूर्व पार्षद शैलेंद्र सिंह मोंटी से जुड़ा है. उन पर आरोप लगा है कि उन्होंने पद का दुरुपयोग कर बेहिसाब संपत्ति अर्जित की है. इसके अलावा लोकायुक्त की जांच में यह भी सामने आया है कि 2007 से 2017 तक पार्षद रहते हुए मोंटी ने अपनी घोषित आय से कई गुना अधिक संपत्ति खरीदी. उनकी तरफ से हौज खास और ग्रीन पार्क एक्सटेंशन में खरीदी गई इन संपत्तियों का कोई वैध आय स्त्रोत नहीं बताया गया है..
अकाउंट से की गई बड़ी-बड़ी रकम ट्रांसफर
वहीं, जांच में यह भी पाया गया है कि मोंटी के बैंक खातों में साल 2013 के बाद बार-बार कई बड़ी रकम ट्रांसफर की गई है, जिसमें मुख्य रूप से 1 करोड़, 50 लाख, 25 लाख, 1.25 करोड़ और 2 करोड़ रुपये शामिल है. हालांकि, जब उनसे इन ट्रांसफर मनी को लेकर सवाल किया गया तो वह कोई ठोस दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाए. दूसरी तरफ दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने भी बयान दिया कि जिन संपत्तियों की बात हो रही है, वे योजना क्षेत्र में आती हैं और बिना मंजूरी के निर्माण किया गया है. रिपोर्ट में आगे कहा गया कि मामला भ्रष्टाचार, पद के दुरुपयोग और ईमानदारी के नियमों का उल्लंघन का है. लोकायुक्त ने सिफारिश की है कि जांच ACB या फिर ED से कराई जाए और अगर इसमें मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सामने आता है तो PMLA के तहत कार्रवाई होनी चाहिए.
व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल
रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए लोकायुक्त ने यह भी कहा है कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर FIR दर्ज करें और अवैध निर्माण पर MCD एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए. साथ ही जब आरोप तय हो जाएं तो मोंटी को चेतावनी या निंदा की जाए. अगर यह संपत्तियां अवैध आय से बनी हैं तो अदालत में मुकदमा दायर किया जाए. बता दें कि लोकायुक्त की रिपोर्ट में इस तरह के गंभीर आरोप लगाने के बाद भी मोंटी के ऊपर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिसकी वजह से व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए जा रहे हैं आखिर इतनी मजबूत रिपोर्ट को पेश होने के बाद सिस्टम अभी तक चुप क्यों बैठा है?
परिजनों के नाम पर भी है दर्ज संपत्ति
बता दें कि लोकायुक्त ने पाया कि संपत्तियां मोंटी के नाम पर है या फिर उनके परिजनों के नाम पर दर्ज हैं और इन संपत्तियों को लेकर उनके पास कोई वैध स्त्रोत नहीं है. साथ ही ये तथ्य लोकायुक्त की जांच की गहराई तक दिखाते हैं जो दस्तावेज आधारित और गवाहों के बयानों पर टिकी है, फिर भी सिस्टम की तरफ से किसी भी स्तर पर कार्रवाई नहीं की जा रही है.
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