Lieutenant Governor Action: उप राज्यपाल मनोज सिन्हा को खुफिया जानकारी दी गई कि दो सरकारी कर्मचारियों के संबंध आतंकियों से हैं. जांच के बाद मनोज सिन्हा ने दोनों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया.
Lieutenant Governor Action: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के सख्त रवैये से सरकारी कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है. मनोज सिन्हा ने आतंकवादियों से संबंध रखने के आरोप में दो सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया. उपराज्यपाल ने दोनों कर्मचारियों के खिलाफ जांच के भी आदेश दिए हैं. उप राज्यपाल मनोज सिन्हा को खुफिया जानकारी दी गई कि दो सरकारी कर्मचारियों के संबंध आतंकियों से हैं. जांच के बाद मनोज सिन्हा ने शुक्रवार को दोनों सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया. अधिकारियों ने बताया कि बर्खास्त कर्मचारियों की पहचान भेड़ पालन विभाग में सहायक पशुपालक सियाद अहमद खान के रूप में हुई है. खान केरन इलाके में रहता है. दूसरा कर्मचारी स्कूल शिक्षक खुर्शीद अहमद राठेर है. राठेर उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में रहता है. अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों द्वारा की गई जांच में उनकी संलिप्तता सामने आने के बाद संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं. दोनों आरोपी कुपवाड़ा जिला जेल में बंद हैं.
आतंकियों को देता था हथियार, गोला-बारूद
अधिकारियों के अनुसार, राठेर पर लश्कर-ए-तैयबा के लिए एक ओवरग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) के रूप में काम करने का आरोप है. जांच में पता चला कि राठेर, जिसे 2003 में रहबर-ए-तालीम योजना के तहत नियुक्त किया गया था और 2008 में उसकी पुष्टि हुई थी. दोनों कर्मचारी घाटी में आतंकियों को पनाह देते थे. वे पाकिस्तानी स्थित आकाओं के लिए हथियार और नशीले पदार्थ खरीदते और आपूर्ति करते थे. इस वर्ष के शुरू में कुपवाड़ा में हथियार जब्त किए जाने के बाद उसे गिरफ्तार किया गया था. उसे पाकिस्तान स्थित आकाओं ने घाटी में सक्रिय आतंकवादियों के बीच हथियार, गोला-बारूद और नशीले पदार्थ खरीदने और वितरित करने का काम सौंपा था. आरोपी ने करनाह में नियंत्रण रेखा के रास्ते हथियारों की कई खेपें प्राप्त कीं. अधिकारियों ने बताया कि हथियार आतंकवादियों को दिए गए, जबकि नशीले पदार्थों की बिक्री से प्राप्त आय का इस्तेमाल अभियानों के लिए किया गया.
खुफिया जांच से हुआ खुलासा
25 जनवरी, 2024 को खुफिया जानकारी मिलने के बाद दोनों कर्मचारियों की भूमिका सामने आई, जिसमें संकेत दिया गया कि दो पाकिस्तानी आतंकवादी, राठेर सहित चार सहयोगियों की मदद से कुपवाड़ा में हथियारों की तस्करी कर रहे थे. 2004 में नियुक्त खान को एके-47 के साथ पकड़ा गया था और उस पर आतंकवादियों को पनाह देने, घुसपैठ कराने और हथियारों की तस्करी करने का आरोप है. जांचकर्ताओं ने खुलासा किया कि वह पाकिस्तान स्थित हैंडलर के संपर्क में था, जिसने उसे एलओसी के पार हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए इस्तेमाल किया और फिर सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादियों को वितरित किया. अधिकारियों ने उसके कार्यों को “राष्ट्रीय विश्वास के साथ विश्वासघात” बताया, जो सरकारी रैंकों के भीतर आतंकी समर्थन नेटवर्क के खिलाफ प्रशासन की जीरो टॉलरेंस नीति को रेखांकित करता है.
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