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स्टालिन सरकार का ऐलान: राज्य में नहीं होगी कोई हाइड्रोकार्बन परियोजना, जिले के रेगिस्तान बनने का खतरा

by Sanjay Kumar Srivastava
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Chief Minister MK Stalin

Fishermen protest in Tamilnadu: मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की दृढ़ नीति तमिलनाडु में कहीं भी हाइड्रोकार्बन से संबंधित परियोजनाओं की अनुमति नहीं देने की है.

Fishermen protest in TamilNadu: तमिलनाडु सरकार ने मछुआरों और राजनीतिक दलों के व्यापक विरोध और कड़े विरोध के मद्देनजर राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (TNSEIAA) को रामनाथपुरम जिले में हाइड्रोकार्बन अन्वेषण के लिए ओएनजीसी को दी गई मंजूरी वापस लेने का निर्देश दिया है. जबकि तमिलनाडु एसईआईएए ने तेल और प्राकृतिक गैस निगम को रामनाथपुरम जिले में 20 कुओं में हाइड्रोकार्बन अन्वेषण ड्रिलिंग करने की मंजूरी दी थी. वित्त मंत्री थंगम थेनारासु ने जोर देकर कहा है कि सरकार राज्य में ऐसी परियोजनाओं को कभी भी अनुमति नहीं देगी. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की दृढ़ नीति तमिलनाडु में कहीं भी हाइड्रोकार्बन से संबंधित परियोजनाओं की अनुमति नहीं देने की है. इसलिए, राज्य सरकार भविष्य में भी राज्य में किसी भी हाइड्रोकार्बन परियोजना को अनुमति नहीं देगी. यह बातें पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन और वन पोर्टफोलियो रखने वाले थेनारासु ने कही.

राज्य में संरक्षित कृषि क्षेत्र अधिनियम लागू

उन्होंने बताया कि सरकार ने पहले ही 20 फरवरी, 2020 को संरक्षित कृषि क्षेत्र (पीएजेड) अधिनियम लागू कर दिया है, जिसमें किसानों की जीवन रेखा कावेरी डेल्टा क्षेत्र को संरक्षित कृषि क्षेत्र घोषित किया गया है. मंत्री ने रविवार को कहा कि यह अधिनियम तंजावुर, तिरुवरुर, नागपट्टिनम, पुदुकोट्टई और कुड्डालोर के डेल्टा जिलों में प्राकृतिक गैस, कोयला आधारित मीथेन और शेल गैस के अलावा हाइड्रोकार्बन की खोज पर प्रतिबंध लगाता है. बाद में 2023 में प्रतिबंध को मयिलादुथुराई जिले तक बढ़ा दिया गया. पर्यावरणविद् और नीथल मक्कल कच्ची के अध्यक्ष कु भारती के अनुसार, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने इस साल फरवरी में ब्लॉकों की नीलामी के बाद तमिलनाडु और पुदुचेरी के भूभाग में 30,000 वर्ग किलोमीटर उथले समुद्री क्षेत्रों और उससे सटे 95,000 वर्ग किलोमीटर गहरे समुद्र क्षेत्रों में हाइड्रोकार्बन भंडार की पहचान की थी.

मछुआरे कर रहे परियोजना का विरोध

उन्होंने कहा कि मत्स्य संसाधन घटने के संकट का सामना कर रहे मछुआरों के पास पहले से ही गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. मत्स्य क्षेत्र और तटीय पर्यावरण के हित में इस हाइड्रोकार्बन परियोजना को रद्द कर दिया जाना चाहिए. भारती ने पीटीआई-भाषा से कहा कि तटीय जिलों के मछुआरे इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं और केंद्र से इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं. इस परियोजना का विरोध करते हुए सत्तारूढ़ डीएमके की सहयोगी एमडीएमके ने राज्य सरकार से परियोजना के लिए दी गई पर्यावरणीय मंज़ूरी रद्द करने की मांग की है. एमडीएमके प्रमुख वाइको ने कहा कि यह मछुआरों की आजीविका और पर्यावरण के लिए खतरा है.

ड्रिलिंग से भूजल होगा दूषित

वाइको ने यहां एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार को ओएनजीसी हाइड्रोकार्बन गैस निष्कर्षण परियोजना को तमिलनाडु सरकार द्वारा दी गई पर्यावरणीय मंजूरी की समीक्षा करनी चाहिए और उसे वापस लेना चाहिए. जबकि एआईएडीएमके ने ओएनजीसी को ड्रिलिंग की अनुमति देने के शुरुआती चरण में परियोजना का विरोध किया था और परियोजना को रद्द करने की मांग की थी. पीएमके ने चिंता व्यक्त की है कि ड्रिलिंग से समुद्री जल भूजल को दूषित कर सकता है. यह दावा करते हुए कि ओएनजीसी ने अक्टूबर 2023 में मंजूरी के लिए आवेदन किया था. पीएमके नेता डॉ अंबुमणि रामदास ने आरोप लगाया कि कुएं जमीन से 3,000 फीट नीचे खोदे गए थे. अंबुमणि ने एक बयान में कहा कि हाइड्रोकार्बन निष्कर्षण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक भूकंप और अन्य आपदाओं का कारण बनेगी. इसके अलावा पूरा जिला रेगिस्तान में बदल जाएगा.

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