Home Latest News & Updates विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में योगी बोले: कानून के शासन को मजबूत करने में बेंच-बार का समन्वय जरूरी

विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में योगी बोले: कानून के शासन को मजबूत करने में बेंच-बार का समन्वय जरूरी

by Sanjay Kumar Srivastava
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CM Yogi

CM Yogi: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कानून के शासन को सुदृढ़ बनाए रखने में बेंच और बार के बीच समन्वय की अहम भूमिका होती है.

CM Yogi: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कानून के शासन को सुदृढ़ बनाए रखने में बेंच और बार के बीच समन्वय की अहम भूमिका होती है. योगी रविवार को लखनऊ में डॉ.राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि न्याय तभी फलता-फूलता है जब विवेक और संवेदनशीलता सामंजस्य से कार्य करें. योगी ने कहा कि बेंच मानव बुद्धि के ज्ञान का प्रतीक है, जबकि बार हमारी सामूहिक संवेदनशीलता का प्रतिनिधित्व करती है. जब दोनों एक साथ आते हैं, तो शासन में कानून के शासन का सच्चा रूप दिखाई देता है. इस अवसर पर भारत के मनोनीत मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली भी उपस्थित रहे.

सुशासन के लिए मजबूत न्यायपालिका जरूरी

मुख्यमंत्री ने विधि छात्रों को समाज में न्याय, समानता और संवेदनशीलता के साथ कार्य करने का आह्वान किया. न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए राज्य सरकार की पहल पर प्रकाश डालते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि बेंच और बार के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के लिए हमने पूरे उत्तर प्रदेश में एकीकृत न्यायालय परिसरों का विकास शुरू कर दिया है. हमने 10 जिलों के लिए धनराशि जारी कर दी है, जहां जिला स्तर पर सभी अदालतें एक ही परिसर से काम करेंगी. परिसर में आवासीय और अन्य आवश्यक सुविधाएं भी शामिल होंगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले ज़िला न्यायाधीशों के कक्षों में एयर-कंडीशनर नहीं होते थे. हमने उसे भी मंज़ूरी दे दी है. अब यह विलासिता नहीं, बल्कि ज़रूरत है. अगर कभी बार नाराज़ हो जाए, तो बेंच के एसी की ठंडी हवा माहौल को थोड़ा शांत कर सकती है. आदित्यनाथ ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सुशासन के लिए एक मज़बूत न्यायपालिका बेहद ज़रूरी है.

न्यायपालिका की भूमिका अहम

उन्होंने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्यायपालिका अहम भूमिका निभाती है. न्यायिक व्यवस्था जितनी मज़बूत होगी, सुशासन के लक्ष्य को हासिल करना उतना ही आसान होगा. प्राचीन आदर्शों से तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में सुशासन को ‘राम राज्य’ कहा जाता था. एक ऐसी व्यवस्था जहां भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं थी और जहां समाज का हर वर्ग समान रूप से भाग लेता था. हम अपनी शासन व्यवस्था और न्यायिक व्यवस्था को मज़बूत करने के लिए इसी भावना से काम कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने ई-कोर्ट, वैकल्पिक विवाद समाधान और साइबर क़ानूनों को बढ़ावा देने जैसी पहलों के ज़रिए न्याय व्यवस्था को आधुनिक बनाने के सरकार के प्रयासों का भी ज़िक्र किया. उन्होंने आगे कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय अब अपने मज़बूत बुनियादी ढांचे के लिए जाना जाता है. हमने तेज़ी से कदम उठाए हैं.

त्वरित और सुलभ न्याय के लिए सरकार प्रतिबद्ध

आदित्यनाथ ने कहा कि विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों से जुड़े मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए 380 से अधिक पॉक्सो और फास्ट-ट्रैक अदालतें स्थापित करने के लिए कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा कि त्वरित और सुलभ न्याय प्रदान करने के लिए लोक अदालतों और मध्यस्थता जैसे उपायों को सुदृढ़ किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस दिशा में विधिक सेवा प्राधिकरणों और न्यायपालिका की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. राज्य सरकार न्याय प्रणाली को सुलभ, पारदर्शी और आधुनिक बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. स्नातक छात्रों को शुभकामनाएं देते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि मैं आज अपनी उपाधि प्राप्त करने वाले सभी छात्रों को बधाई देता हूं और उनके उज्ज्वल एवं सार्थक भविष्य की कामना करता हूं.

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