Jagannath Rath Rope: जगन्नाथ रथ यात्रा की रस्सी को छूना और खींचना केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक ऐसा अनुभव है, जो भक्तों को प्रभु से जोड़ता है और जीवन को पवित्र बनाता है. यदि आपको मौका मिले तो इस वर्ष रथ यात्रा में शामिल होकर इस पुण्य का लाभ अवश्य उठाएं.
Jagannath Rath Rope: जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 इस वर्ष 27 जून से शुरू होने जा रही है. हर साल की तरह इस बार भी देश और दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु पुरी धाम पहुंचकर इस भव्य उत्सव का हिस्सा बनेंगे. भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा नगर भ्रमण पर निकलते हैं और भक्तगण उनके रथ को रस्सियों से खींचकर मौसी के घर गुंडिचा मंदिर तक ले जाते हैं. इस रथ यात्रा में रथ की रस्सी को छूना और खींचना बेहद शुभ और पुण्यदायी माना जाता है. आइए जानते हैं रथ यात्रा की रस्सियों का नाम, इसे कौन खींच सकता है और इसके पीछे धार्मिक महत्व क्या है.
रथ यात्रा में रस्सियों के नाम क्या हैं?

जैसे भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों के अलग-अलग नाम हैं, वैसे ही उन रथों को खींचने वाली रस्सियों के भी अलग-अलग नाम होते हैं. भगवान जगन्नाथ के 16 पहियों वाले नंदीघोष रथ की रस्सी को शंखचूड़ नाड़ी या शंखचूड़ा नाड़ी कहा जाता है. वहीं बलभद्र जी के 14 पहियों वाले तालध्वज रथ की रस्सी का नाम बासुकी है और सुभद्रा जी के 12 पहियों वाले पद्मध्वज रथ की रस्सी को स्वर्णचूड़ा नाड़ी कहा जाता है. इन रस्सियों से रथ को खींचना न केवल एक परंपरा है बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव भी है.
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रथ की रस्सी को कौन खींच सकता है?
जगन्नाथ रथ यात्रा में रथ की रस्सी को कोई भी खींच सकता है, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या पंथ का हो. इस पवित्र कार्य के लिए केवल श्रद्धा और आस्था की आवश्यकता होती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भी भक्त रथ की रस्सियों को खींचता है, उसे भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है और वह जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति की ओर अग्रसर होता है.
रथ की रस्सी को छूने का धार्मिक महत्व
जगन्नाथ रथ यात्रा में रथ की रस्सी को छूना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है. मान्यता है कि जो व्यक्ति इस रस्सी को पकड़ता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसका जीवन सौभाग्य और सुख-शांति से भर जाता है. ऐसा कहा जाता है कि यदि कोई श्रद्धालु रथ यात्रा में शामिल होकर भी रथ की रस्सी को नहीं छू पाता, तो उसकी यात्रा अधूरी मानी जाती है. रथ की रस्सी को छूने से भक्त भक्ति और मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ते हैं. भगवान जगन्नाथ की कृपा प्राप्त करने का यह एक महत्वपूर्ण अवसर होता है, जिससे भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और आशीर्वाद मिलता है.
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