Home Latest News & Updates मुर्शिदाबाद दंगा: राज्यपाल ने गृह मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट, कहा- बंगाल के लिए गंभीर समस्या बन रहा है कट्टरपंथ

मुर्शिदाबाद दंगा: राज्यपाल ने गृह मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट, कहा- बंगाल के लिए गंभीर समस्या बन रहा है कट्टरपंथ

by Sanjay Kumar Srivastava
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West Bengal Governor

कोलकाता के राज्यपाल बोस ने कहा कि केंद्र सरकार लोगों में कानून के शासन के प्रति विश्वास पैदा करने के लिए अन्य संवैधानिक विकल्पों को अपना सकती है.

कोलकाता के मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में हुए दंगों पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘कट्टरपंथ और उग्रवाद की दोहरी छाया’राज्य के लिए एक गंभीर चुनौती है. रिपोर्ट में उन्होंने कुछ उपाय सुझाए, जिसमें एक जांच आयोग की स्थापना और बांग्लादेश की सीमा से लगे जिलों में केंद्रीय बलों या बीएसएफ की चौकियां स्थापित करना शामिल है. हालांकि राज्यपाल ने अनुच्छेद 356 को लागू करने का प्रस्ताव नहीं दिया है. उनका मतलब था कि अगर राज्य में स्थिति और बिगड़ती है तो अनुच्छेद 356 के प्रावधान केंद्र के लिए खुले हैं.

टीएमसी ने रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताया

टीएमसी ने रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताया जबकि भाजपा ने इसकी सराहना की. मुर्शिदाबाद हिंसा के अन्य जिलों में फैलने की आशंका जताते हुए बोस ने कहा कि केंद्र सरकार लोगों में कानून के शासन के प्रति विश्वास पैदा करने के लिए अन्य संवैधानिक विकल्प अपना सकती है. राज्यपाल ने मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद कई उपाय सुझाए, जिसमें तीन लोग मारे गए थे. दंगा वक्फ अधिनियम के विरोध के बीच हुआ था. रिपोर्ट में राज्य मशीनरी द्वारा प्रभावी ढंग से कार्य करने में विफल रहने पर कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार को सशक्त बनाने के लिए एक व्यापक कानून बनाने का उल्लेख किया गया था. इसमें चूक और कमीशन की रिपोर्ट की गई गतिविधियों की जांच करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उपाय सुझाने के लिए एक जांच आयोग नियुक्त करने के बारे में भी कहा गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल ही में कट्टरपंथ और ध्रुवीकरण के संकेत मिले हैं.

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मुर्शिदाबाद में कानून-व्यवस्था के लिए आसन्न खतरे से अवगत थी राज्य सरकार

बोस ने रिपोर्ट में ये बातें लिखी हैं कि राज्य में राजनीतिक झड़पों के इतिहास को देखते हुए ऐसी आशंका है कि मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा अन्य जिलों में भी फैल सकती थी. बोस ने कहा कि 8 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) अधिनियम अधिसूचित होने के बाद, मुर्शिदाबाद जिले में हिंसा भड़क उठी और कई दिनों तक जारी रही. उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने उसी दिन इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी थीं. उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रकार राज्य सरकार मुर्शिदाबाद में कानून और व्यवस्था के लिए आसन्न खतरे से अवगत थी. जिले की अपनी यात्रा का जिक्र करते हुए बोस ने कहा कि किए गए अत्याचार सुनियोजित प्रतीत होते हैं और एक विशेष समूह की पहचान को नष्ट करने के इरादे से किए गए थे.

राज्यपाल ने कहा कि मानव अधिकारों का ऐसा गंभीर उल्लंघन, जिससे भारी पीड़ा और नुकसान हुआ है, हाल के इतिहास में बहुत कम समानताएं हैं. बोस ने यह भी कहा कि सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच बढ़ती राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण दोनों ही दल अपने मतदाता आधार को मजबूत करने के लिए धार्मिक पहचान का अधिकाधिक लाभ उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि टीएमसी ने खुद को मुसलमानों के रक्षक के रूप में स्थापित किया है, जो राज्य के मतदाताओं का 30 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है.

हिंसा के दौरान पुलिस अप्रभावी, केंद्रीय बलों की थी जरूरत

बोस ने कहा कि पुलिस अप्रभावी थी और सामान्य स्थिति वापस लाने के लिए केंद्रीय बलों की आवश्यकता थी. बोस पर निशाना साधते हुए, टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि यह उनके राजनीतिक कार्य की रिपोर्ट है.राज्यपाल को बीएसएफ की भूमिका का उल्लेख करना चाहिए था, अधिकार क्षेत्र को सीमा से 50 किमी तक बढ़ा दिया गया था. भाजपा कांग्रेस नेता अधीर चौधरी ने रिपोर्ट को बहुत सामान्य बताया. चौधरी ने कहा कि उन्होंने कहा कि अगर स्थिति बिगड़ती है, तो धारा 356 खुला है.

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