संघीय जांच एजेंसी के अहमदाबाद स्थित जोनल कार्यालय ने हाल ही में स्थानीय पुलिस की एफआईआर का संज्ञान लेते हुए धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है.
New Delhi: ईडी ने छापा मारकर गुजरात वक्फ की कुछ संपत्तियों में वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच की. तलाशी के बाद 7 लाख रुपये की क्रिप्टोकरेंसी, 2 करोड़ रुपये के बैंक फंड को फ्रीज कर दिया और 30 लाख रुपये नकद जब्त कर लिया. मंगलवार को अहमदाबाद में नौ जगहों पर छापेमारी की. संघीय जांच एजेंसी के अहमदाबाद स्थित जोनल कार्यालय ने हाल ही में स्थानीय पुलिस की एफआईआर का संज्ञान लेते हुए धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है.
सलीम जुम्माखान पठान हिस्ट्रीशीटर, पांच केस दर्ज
एफआईआर में सलीम जुम्मा खान पठान, मोहम्मद यासर अब्दुलहामिया शेख, महमूद खान जुम्मा खान पठान, फेजमोहम्मद पीर मोहम्मद चोबदार और शहीद अहमद याकूबभाई शेख के नाम शामिल हैं. पुलिस ने कहा कि सलीम जुम्माखान पठान एक हिस्ट्रीशीटर है और उसके खिलाफ शस्त्र अधिनियम के तहत एक सहित पांच मामले दर्ज हैं. बुधवार को एक बयान में प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि 2 करोड़ रुपये की बैंक जमा और क्रिप्टोकरेंसी में 7 लाख रुपये फ्रीज कर दिए गए हैं. इसके अलावा 30 लाख रुपये नकद जब्त किए गए हैं, यह राशि या तो आरोपियों और उनके सहयोगियों के स्वामित्व या नियंत्रण में थी, जिन्होंने अपराध की संदिग्ध आय को जमा किया था.
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वक्फ बोर्ड को झूठे हलफनामे पेश किएः ईडी
ईडी ने कहा था कि आरोपियों ने अवैध रूप से कांच की मस्जिद ट्रस्ट और शाह बड़ा कसम ट्रस्ट के ट्रस्टी होने का दावा किया था. एजेंसी ने आरोप लगाया कि उन्होंने धोखाधड़ी वाले लीज़ समझौते किए, किराएदारों से जबरन किराया वसूला और वक्फ बोर्ड को झूठे हलफनामे पेश किए. उसे संदेह है कि आरोपियों ने मस्जिद ट्रस्ट की ज़मीन पर दुकानें बनाईं, किराया वसूला और व्यक्तिगत लाभ के लिए अहमदाबाद नगर निगम और वक्फ बोर्ड के खिलाफ़ धोखाधड़ी और साजिश की.
आरोपियों ने ट्रस्ट के पैसे और जमीन को हड़पा
ईडी ने कहा कि ‘कांच की मस्जिद’ से सटे एक भूखंड पर मूल रूप से मस्जिद ट्रस्ट का स्वामित्व था. इसे अहमदाबाद नगर निगम को सालों पहले इस समझौते के साथ दिया गया था कि इस भूखंड पर दो उर्दू स्कूल बनाए जाएंगे. स्कूल 2001 के भूकंप में क्षतिग्रस्त हो गया था और 2009 में ध्वस्त हो गया था. 2008 से 2025 के बीच, यहां अवैध रूप से 150 से 200 घर और 25 से 30 दुकानें बनाई गईं और आरोपियों ने किराया वसूल किया लेकिन ट्रस्ट के खाते में जमा नहीं किया. ईडी के अनुसार, इसके बजाय आरोपियों ने कथित तौर पर ट्रस्ट के पैसे और जमीन को हड़प लिया, जो मूल रूप से सामुदायिक कल्याण के लिए थी. संघीय जांच एजेंसी के अनुसार, आरोपियों ने ट्रस्टीशिप का दावा करने, बोर्ड और नागरिक निकाय दोनों को गुमराह करने के लिए 2024 में गांधीनगर में वक्फ बोर्ड को एक जाली हलफनामा प्रस्तुत किया.
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