Pinaka Rocket System: ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सैन्य शक्ति का नया चेहरा दुनिया को दिखाया है, एक ऐसा देश जो अब सिर्फ युद्ध नहीं जीतता, बल्कि हथियार भी बनाकर दूसरों को जिताने की ताकत रखता है. आने वाले दिनों में दुनिया के कई देश भारतीय हथियारों से लैस होंगे.
Pinaka Rocket System: एक वक्त था जब भारत रक्षा उपकरणों के लिए विदेशी देशों पर निर्भर रहा करता था, लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है. ऑपरेशन सिंदूर की जबरदस्त सफलता के बाद भारत में बने स्वदेशी हथियारों की ताकत को दुनिया ने महसूस किया है. खासकर, ‘पिनाका रॉकेट सिस्टम’,जिसकी मारक क्षमता और सटीकता ने भारत के दुश्मनों को हिला कर रख दिया. अब यही पिनाका दुनिया भर में चर्चा का विषय बन चुका है. पिनाका अब सिर्फ एक रॉकेट सिस्टम नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक सोच, टेक्नोलॉजी, और आत्मनिर्भरता का ब्रांड बन चुका है. आने वाले दिनों में जब दुनिया के कई देश भारतीय हथियारों से लैस होंगे, तब यह गर्व से कहा जाएगा,‘बने हैं भारत में, सुरक्षा के लिए दुनिया भर में.’
पिनाका की गूंज विदेशों में; बढ़ी अंतरराष्ट्रीय डिमांड
ऑपरेशन सिंदूर में अपनी जबरदस्त उपयोगिता दिखाने के बाद पिनाका रॉकेट सिस्टम को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग अचानक तेज हो गई है. सऊदी अरब, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे रणनीतिक रूप से अहम देशों ने इस सिस्टम में गहरी रुचि दिखाई है. पिनाका को पहले ही आर्मीनिया द्वारा खरीदा जा चुका है और उसका इस्तेमाल उसने अजरबैजान के खिलाफ संघर्ष में सफलता से किया.
यह बात साफ है की भारत का यह स्वदेशी हथियार अब केवल घरेलू रक्षा के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक बाजार के लिए भी एक भरोसेमंद विकल्प बन चुका है.
पिनाका की ताकत, क्या है खासियत?
पिनाका एक मल्टी-बैरेल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम (MBRL) है, जिसे भारत के DRDO और सोलर इंडस्ट्रीज ने मिलकर तैयार किया है. इसकी खासियतें हैं:
• एक बार में 12 रॉकेट दागने की क्षमता
• एक बैटरी से 1 टन विस्फोटक सेकंडों में दुश्मन क्षेत्र में गिराया जा सकता है
• गाइडेड वर्जन में GPS आधारित नेविगेशन और 75+ किमी तक सटीक हमला
• दुश्मन की रडार से बचते हुए स्ट्राइक करने की तकनीक
इसने HIMARS जैसे अमेरिकी सिस्टम्स की टक्कर में एक किफायती और अत्याधुनिक विकल्प के रूप में पहचान बनाई है.

कीमत कम लेकिन घातक उतना ही
जहां अमेरिका का HIMARS सिस्टम लाखों डॉलर में आता है, वहीं गाइडेड पिनाका की कीमत महज 56,000 डॉलर (लगभग ₹4.6 करोड़) प्रति रॉकेट बताई गई है.
• एक पूरी यूनिट (लॉन्चर + कंट्रोल सिस्टम) की कीमत ₹140 से ₹150 करोड़
• एक पूरी रेजीमेंट की कीमत करीब ₹850 करोड़
कम लागत में जबरदस्त मारक क्षमता, यही कारण है कि कई देश इसे खरीदने की कतार में हैं.
‘मेक इन इंडिया’ की सबसे बड़ी सफलता में से एक
पिनाका रॉकेट सिस्टम सिर्फ एक हथियार नहीं है, बल्कि भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है. इसका निर्माण DRDO और नागपुर बेस्ड सोलर इंडस्ट्रीज ने मिलकर किया है. अब जब इसकी मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही है, तो यह भारतीय रक्षा उद्योग को एक निर्यातक राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की ओर बड़ा कदम है.
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